ज्यादातर मदर्स कहती हुईपाई जाती है कि बच्चे बात नही सुनते|
मेरे कुछ प्रशन है ऐसी सभी माताओ से
1.ऐसा कहने का कारण क्या है?
दूसरो से हमदर्दी पाना, बुरी नज़र से बचाना या फिर बच्चो को सुधारना?
कारण कोई भी हो
सबसे पहले तो बच्चो को अन्यथा ही चर्चा का विषय न बनाए, उन्हे अपने स्वाभाविक रूप मे रहने दे, उनके सामने कोई भी बात चाहे उनकी तारीफ हो या बुराई ,सोच समझ कर ही करे|
सुधारने के लिए अगर वास्तव मे प्रयास है तो बच्चो को कुछ भी कहने से पहले ये सुनिश्चित करे कि क्या वे वाकई मे आपकी बात सुनने के लिए तैयार है,क्या वे इस अवस्था मे है कि आप जो बोलेगी वे समझ पाएगे, अगर ऐसा नही है तो पहले ये सुनिश्चित करे, बच्चे के मन को अपनी बात सुनने के लिए तैयार करे और फिर कुछ कहे, धैर्य के साथ|
वरना, जैसे आप किसी बर्तन को ज़रुरत से ज्यादा अगर भर देगे तो क्या होगा जो डालेगे ,वो नीचे गिरेगा|
इसी तरह से बिना हृदय को छुए या मन को तैयार किए बगैर बात करेगे तो वो भीतर तो जा ही नही रही तो सुनना ,समझना तो फिर मुश्किल होगा ही|
ज्योति वर्मा
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